Covid-19: क्या है CM योगी का ‘आगरा मॉडल’ जिसकी देश भर में हो रही है चर्चा?
Covid-19: क्या है CM योगी का ‘आगरा मॉडल’ जिसकी देश भर में हो रही है चर्चा?
कोरोना वायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए पूरे देश में प्रयास हो रहे हैं। राज्य सरकारें अपने यहां उपलब्ध संसाधनों के अनुसार इसके फैलाव को रोकने की कोशिश कर रही हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘आगरा मॉडल’ की देश भर में चर्चा हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल भी आगरा में लागू की गई व्यवस्था को रोल मॉडल बता चुके हैं। अब तक आगरा में कोरोना संक्रमित 92 केस सामने आए हैं। जिसमें से 5 पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 87 का इलाज चल रहा है, जिनकी स्थिति ठीक है। हम आपको बताएंगे कि आगरा मॉडल क्या है और देश भर में इसकी चर्चा क्यों हो रही है।
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उत्तर प्रदेश में कोरोना का सबसे पहला कलस्टर आगरा में सामने आया था। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने पूरी सतर्कता बरती और बेहतर रणनीति के साथ कार्य करना शुरू किया। जिसके तहत जनपद के सभी हॉट स्पॉट को चिन्हित, रैपिड रिस्पॉन्स टीम, बल्क में सैंपलिंग, कॉल सेंटर की स्थापना, डोर स्टेप डिलीवरी और सभी घरों को सैनेटाइज किया गया।
आरआरपी के जरिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग
प्रशासन ने यहां कई तरह के इंतजाम किए और कंटेनमेंट जोन बनाकर कोरोना को फैलने से रोका गया। रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरपी) के जरिए पूरे संक्रमित व्यक्ति की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की गई। वह कहां-कहां गए किस-किस से मिला, इस सबकी जानकारी जुटाई गई। इसके बाद हॉटस्पॉट और 38 एपिसेंटर चिन्हित किए गए। जिन्हें मैप पर दिखाया गया। जिसमें से 10 एपिसेंटर को पूरी तरह से अब बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही 3 किलोमीटर का कंटेनमेंट जोन और 5 किलोमीटर को बफर जोन बनाया गया।
1248 विशेष टीमें बनाई गईं
कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए हर एरिया का एक माइक्रोप्लान बनाया गया। 1248 विशेष टीमें बनाई गईं। जिसमें नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के लोग शामिल थे। इन टीमों ने घर-घर जाकर करीब 9.3 लाख लोगों का सर्वे किया। इन्होंने 1.65 लाख घरों की स्क्रीनिंग की। इनमें से 25 सौ लोगों की पहचान की गई जिनमें कफ, सर्दी, बुखार जैसे लक्षण थे। 36 लोगों का यात्रा इतिहास था। सबकी जांच की गई।
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वॉर रूम के जरिए निगरानी
आगरा स्मार्ट सिटी केंद्र को बनाया वॉर रूम के रूप में इस्तेमाल किया गया। संक्रमित व्यक्तियों एवं उनके सम्पर्क में आए लोगों के लिए जिला प्रशासन ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनर्शिप के माध्यम से 566 बेड्स का पेड क्वारंटाइन सेंटर बनाया। इसके अलावा 3060 इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन सेंटर को लोगों को लिए फ्री सेंटर बनाया गया।
क्यों हो रही है चर्चा
कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए देश में दो मॉडल की चर्चा हो रही है। एक आगरा तो दूसरा भीलवाड़ा है। दरअसल आगरा में लागू की गई व्यवस्था के तहत पूरे जनपद में बिना कर्फ्यू लगाए सिर्फ हॉट स्पॉट्स को चिन्हित कर उन्हें पूर्णत: सील किया गया। सील किए गए क्षेत्रों में डोर स्टेप डिलेवरी के माध्यम से लोगों को आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाया गया। चिन्हित किए गए क्षेत्रों के सभी घरों को दमकल गाड़ियों के माध्यम से सैनीटाइज किया गया। इस व्यवस्था से लोग पैनिक भी नहीं हुए और कम समय में सभी केसों की पहचान कर ली गई। इस मॉडल के सफल होने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पहले चरण के तहत इसे प्रदेश अन्य 15 जनपदों में भी लागू कर चुकी है। वहीं भीलवाड़ा में महाकर्फ्यू लागू कर इसको नियंत्रित किया गया। महाकर्फ्यू के कारण पैनिक जैसी स्थिति भी उत्पन्न हुई, जिसके कारण राजस्थान सरकार इसे अन्य जिलों में लागू करने से बच रही है।
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